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Sunday, July 31, 2011

प्रभु येशु के महान और मधुर नाम में हमारा सादर प्रणाम.
हमें ख़ुशी  है कि हम इस ब्लॉग के द्वारा आपसे मिल सके हैं.
रोज आज का वचन बहन निशा हमारे लिए लायेंगी.

आज का वचन


जय मसीह कि ,
और जो - जो आज्ञाएँ मैंने तुम्हे दी है उनका पालन करना सिखाओ। और देखो , मैं युग के अंत तक सदैव तुम्हारे साथ हूँ। मत्ती २८: २०

Saturday, July 30, 2011

आत्मिक सेवा

जय मसीह की,

रोमियो की  पत्रि उसके १२ :१ - २ में परमेश्वर का वचन हमसे कहते है "अतः हे भाइयो , में तुमसे परमेश्वर की  दया स्मरण दिलाकर तुमसे आग्रह करता हूँ कि तुम अपने शरीरो को जीवित , पवित्र और ग्रहण योग्य बलिदान करके परमेश्वर को समर्पित कर दो। यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है।


ये वचन हमे परमेश्वर के लिए एक ऐसी सेवा को बताता है जो हममे से हर एक लिए संभव है इस वचन में ३ बातो के विषय पौल्लोस कहता है दया : सारे लोगो से कि परमेश्वर कि दया को स्मरण करो और वो उनसे एक निवेदन कर रहा है कि हम उसकी दया को स्मरण रखे कि उसने हम पर कितने उपकार किये है यदि हम देखे भजन सहिता १०३ : १-२ तो वह हमसे कहा गया है कि हमे हर बात में परमश्वर का धन्यवाद करना है वह हमे उसके उपकार देखने कलिए मिलते है जिसके लिए राजा दौऊद ने कहा कि हम उसका हमेश धन्यवाद करे उसकी करुना इतनी है कि हम उसे गिन भी नहीं सकते सो हमे पहली बात उसकी दया स्मरण रखनी है ।

१.जीवित : कि हम अपने शरीरो को जीवित रखे अब यहाँ पर एक प्रश्न आता है हम सोचते है कि हम तो जीवित है फिर कैसे और शारीर को जीवित रखे यदि आप गलतियों ५: १९-21 में लिखा है कि अब शारीर क काम स्पष्ट है, अर्थात व्य्भिचार , अशुधता, कामुकता, मूर्तिपूजा, जादूटोना, बैर , झगडा, इर्ष्य, क्रोध, मतभेद, फूट , दलबंदी ,द्वेअष, मतवालापन, रंगरलिया तथा इस प्रकार के अन्य काम है यदि ये सारे काम हमारे जीवन में है तो क्यों कर हमारा शारीर जीवित होगा हमसे परमश्वर का वचन इसलिए कहता है इन सब बातो से दूर रहना अपने शारीर को जीवित रखना है ये सारे काम हमारे शरीर को मरती है और हमे परमेश्वर से दूर करती है यदि हम जीवन जी रहे है तो हमे मालूम होना चहिये कि ये शरीर हमे परमेश्वर ने दिया है जिस तरह एक मायां में दो तलवार नहीं रह सकते वैसे ही हम दोहरा जीवन नहीं जी सकते है हमे ये तय करना होगा कि ये जीवन हम परमेश्वर क लिए जिए और अपने आपको अपने शरीर के साथ जीवित रखे। 

२.पवित्र : दूसरी बात जो इस वचन से हमे सिखने क लिए मिलती है वो है पवित्रता वचन हमे सिखाता है जैसे तुम्हारा पिता पवित्र है वैसे ही तुम भी पवित्र बनो यदि आप १ पतरस १: १६ को पढ़े तो वह वचन कहता है "तुम पवित्र बनो , क्युकी में पवित्र हूँ। हम सब जानते है कि हमारा परमेश्वर पवित्र है सो वो भी चाहता है हम भी पवित्र बने। सो प्रभु यीशु में मेरे प्रिय भाइयो और बहनों इस बात को आप ध्यान रखे कि हमे परमेश्वर सरीखा पवित्र बनना है। 

३.बलिदान : तीसरी बात जो वचन में लिखा है परमेश्वर चाहते है कि हम अपने आपको ग्रहण योग्य बलिदान करे अतः हम जो भी बलिदान करते है वो ग्रहण योग्य होना चाहिए कभी - कभी हम सोचते है जो हम अपनी मर्जी से परमेश्वर के लिए कर रहे है वो उसको भाता है लेकिन प्रियो क्या आपने कभी ये सोचा है कि उसकी इच्छा क्या है वो हमसे किस तरह का बलिदान चाहता है। आपके और मेरे सामने सबसे बड़ा उदाहरण है यीशु मसीह का बलिदान जो हमे फिलिपियो २: ६- ९ यदि इस वचन को आप पढ़े तो वह लिखा है कि यीशु मसीह ने अपने आप को हमारे पापो क लिए क्रूस पर चढ़ा दिया आपने आप को शुन्य कर लिया आपने आपको शुन्य करना ही भुत बड़ा बलिदान है। थोड़ी देर विचार करे क्या आपने कभी किसी के लिए आपना समय दिया है क्या आप ने कभी परमेश्वर क लिए समय दिया है वो हमसे हमारे समय का , हमारे जीवन का बलिदान चाहता है वो चाहता है जैसे आप दूसरी चीजों को आपने जीवन में महत्व देते है वैसे ही हम उसे अपने जीवन में पहला स्थान दे।
ये तीनो बाते हमे परमेश्वर कि सेवा करने क लिए प्रेरित करती है और ये भुत बड़ी बी नहीं है जो हम न कर सके हमे ये सेवा देनी है एक गवाही बताना चाहूंगी आप लोगो को में १ साल पहले एक मीटिंग क लिए बिलासपुर गयी हुई थी मेरे साथ मेरी मामी भी थी उनके साथ हम उनके एक सहभागी मैडम क घर पर मिलने गए वो भी मसीही परिवार से है मुझे उनका नाम याद नहीं आ रहा है परन्तु एक बात जो इस वचन से सम्बंधित वह घटी बताना चाहती हूँ जब मैंने उनके घर पर ये वचन पढने को कहा तो उनकी छोटी बहन ने पढ़ा मैंने ये वचन जब पढने क लिए कहा और जब वो पढने लगी तब मैंने वह परमेश्वर कि अगुवाई से उन सब से बाते कि और दुआ कर्क हम वापस आ गए दुसरे दिन मेरी मामी ने मुझे बताया कि कल जो वचन मैंने वह पढाया था उस वचन को पढने के बाद वो परेशां हो गयी और अबी तक परेशां है मैंने एक बात कहा जैसा वचन कहता है इब्रानियों ४: १२,१३ में उसका वचन दोधारी तलवार से भी चोखा है वो हमारे प्राण, आत्मा , गुदे दोनों को आरपार छेड़ता है सो उस बहन क साथ बी यही हुआ उस वचन ने उनके जीवन में काम किया वो काफी नजदीक आ गयी है परमेश्वर के। सो प्रियो हम भी ये बात स्मरण रखे अपनी सेवा परमेश्वर को दे वो ये नहीं चाहता कि हम बड़े बड़े मीटिंग करे उसने भुत तरह से हमे सिल्खाने कि कोशिश कि है जिसमे ये सबसे उत्तम है और सभी के लिए है सो आईये हम सब अपने लिए परमेश्वर से प्राथना करे कि हम अपने शरीरो को जीवित, पवित्र और उसको भवता हुआ बलिदान करने पाए।

प्रभु यीशु में आपकी

बहिन निशा सिंह
जय मसीह की,
अतः हे भाइयो , में परमेश्वर की दया स्मरण दिलाकर तुमसे आग्रह करता हूँ कितुम अपने शरीरो को जीवित , पवित्र और ग्रहण योग्य बलिदान करके परमेश्वर को समर्पित कर दो । यही तुम्हारी आत्मिक आराधना है। - रोमियो १२: 1