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Sunday, September 4, 2011

शिक्षक

रोमियों ११: ३३- ३६
मत्ती २३ : - १२
शीषक
की परिभाषा परमेश्वर के वचन अनुसार इस तरह से है -
भंडारी
- कुर :, :१६, १७, मत्ती १३: 54
पंडित
- पतरस : यहूना १४ : - ११
दोषमुक्त
- इफिसियों : २६- २७
किसान
- कुर :
दूर
दिशा मान - लुका : ३९-४० , २२: ३४ , मत्ती २६: २४- २६
नमूना
- यहूना १३:१२-१६ , पतरस : २१
सुधारक
- यहूना : , मरकुस ११: १५- १७
प्रभु
आपको आशीष दे

Tuesday, August 16, 2011

परन्तु जितनो ने उसे ग्रहण किया , उसने उन्हें परमेश्वर की संतान होने का अधिकार दिया , अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास करते है । - युहन्ना १: १२

Saturday, August 6, 2011

यीशु मेरा सच्चा मित्र







जय मसीह कि,




सर्वप्रथम आप सभो को प्रभु यीशु मसीह के प्रिय और मधुर नाम से फ्रेंड शिप डे कि शुभकामनाये। जैसा कि आज का विषय "यीशु मेरा सच्चा मित्र" आज इसे हम परमेश्वर क वचन से सीखेंगे। यदि आप परमेश्वर के वचन से देखे तो नीतिवचन १७:१७ में " मित्र सब समयों में प्रेम रखता है , और विपत्ति के दीन भाई बन जाता है।" बहुत अच्छी बात परमेश्वर के वचन में सुलेमान राजा ने कहा मेरे प्रिय भाइयो और बहनों में आप लोगो से ये कहना चाहती हूँ क्या आपका कोई मित्र है ? यदि हाँ तो कैसी मित्रता है आपकी उनके साथ ? क्या वो आपका सच्चा मित्र है ? इन सारे सवालों के जवाब आपको कही और नहीं बल्कि परमेश्वर के वचन से मिलेंगे । और ये आपको बतायेगा कि आपका सच्चा मित्र कौन हो सकता है। मेरे प्रियो यहाँ जो वचन आपके समुख रखा गया है उसके अनुसार यहाँ दो बाते विशेष है (१) प्रेम , (२) भाई । इन्ही दो बातो को हम देखेंगे कि हमारा सच्चा मित्र इसी संसार से है या फी यीशु मसीह है।










प्रेम - किसी के लिए ये प्रेम शब्द कहने में बहुत सरल है लेकिन क्या अपने कभी इस शब्द का मतलब samjhne की कोशिश कि ? आखिर ये प्रेम है क्या ? मेरे प्रियो ये प्रेम शब्द कहा से आया किसने किया प्रेम ? १ यहुन्ना ४: ९ " प्रेम इस में नहीं कि हमने परमेश्वर से प्रेम किया, परन्तु इसमें है कि उसने हमसे प्रेम किया और हमारे पापों के प्रयाश्चित के लिए अपने पुत्र को भेजा। " जब हमारा कोई मित्र होता है तो हम उससे प्रेम करते है लेकिन क्या आप जानते है कि जिसे अपने अपना मित्र बनाया है क्या वो भिअप्से वैसा ही प्रेम करता / करती है जैसा आप उससे करते है ? जैसा नितिवचन में लिखा है कि "मित्र सब समयों में प्रेम रखता है" क्या आपका जो मित्र है आपसे हर समयों में प्रेम रखता है ? नहीं मेरे प्रियो ऐसा नहीं होता शयद ही कोई ऐसा हो जो प्रेम रखे यदि आपके मित्र के साथ आपकी बहस या लड़ाई हो जाये तो वो शयद आपसे बात न करे या फिर आपके और आपके मित्रके बिच में बातचीत बंद हो जाये तो क्या यहाँ पर आपके और आपके मित्र के बिच में प्रेम कहा रहा? परन्तु मेरे प्रियो मेरा और आपका यीशु हमसे प्रेम करता है हम उससे यदि याद न करे भूल जाये फिर भी वो आपको और मुझको स्मरण रखता है और हमसे प्रेम करता है अप और में उससे प्रेम न करे या भूल जाये पर वो हमेशा हमे याद रखता है और हमसे प्रेम करता है। हम इस बात को न भूले कि यहुन्ना ३:१६ में लिखा है " परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया " हाँ मेरे प्रियो ये परमेश्वर का प्रेम है कितना बड़ा है उसका प्रेम कि उसने अपने बेटे को हमारे लिए दे दिया अब आप ये बताये क्या कोई हमसे इतना प्रेम कर सकता है और जब यीशु मसीह हमारे बिच में रहे तो उन्होंने भी सभी लोगो से एक सा प्रेम रखा। मेरे प्रियो क्या आप जानते है कि परमेश्वर का मित्र कौन हुआ ? इब्राहीम परमेश्वर का मित्र कहलाया वो दोनों मित्र थे और ये मित्रता इब्राहीम ने निभाई लेकिन अज हम यीशु मसीह से मित्रता नहीं निभा पाते। मेरे प्रियो आज हमने संसार से मित्रता कर रखी है इस बात का प्रमाण हमे पवित्र धर्मशास्त्र से ही मिलता है आये देखिये याकूब ४: १- ४ यहाँ इन चार वचनों में बतया गया है यदि कोई मनुष्य संसार से मित्रता रखता है अर्थात वो लड़ाई झगडे का करण बने या भोग विलास में लगे रहे या फिर लालसा करते है और हत्या करते है और इन सब के बाद जब कुछ पाने में असमर्थ हो जाते है और सांसारिक मित्र त्याग देते है तो कहते है कि हम मांगते है लेकिन हमे मिलता नहीं। आखिर ऐसा क्यों ? मेरे प्रियो यदि आप संसार से मित्रता करेंगे तो आप खुद को परमेश्वर का शत्रु बना लेंगे। सो मेरे प्रियो हम उसके प्रेम को समझे जैसा प्रेम परमेश्वर हमसे करते है वो प्रेम हमारा कोई और मित्र नहीं कर सकता। एक अछे मित्र कि ये उत्तम बात है कि वो पाने मित्र से प्रेम करता है।






भाई - दूसरी बात जो हम देखते है एक अच्छा मित्र विपत्ति के दिनों में हमारा भाई बन जाता है। जीवन के किसी न किसी मोड़ पर कभी ऐसा समय आता है जब हम विपत्ति में होते है या फिर हमारा मित्र इस स्थिति में हम किस रीतिसे उसके भाई हुए या वो हमारा भाई हुआ ? परन्तु आप इस बात कोभी स्मरण रखे वचन में लिखा है हमारा परमेश्वर हमे कभी नहीं त्यागता न कभी छोड़ता है वो हमारे साथ हमेशा रहता है। मेरे प्रियो परमेश्वर जैसा यीशु मसीह का पिता है वैसे ही हमारा भी है और इस नाते यीशु मसीह हमारा भाई है हाँ मेरे प्रियो वो हमारा भाई है और जब हम पर विपत्ति आती है और जब हम उसको पुकारते है तो वो हमारा भाई बनकर हमारे साथ हो लेता है हमारी सहायता करता है। मेरे प्रियो हम संसार में रहकर केवल अपने मित्रो कि संख्या बढ़ाते है क्या आप जानते है इस विषय में परमेश्वर का वचन क्या कहता है निति वचन १८: २४ " मित्रो के बढ़ने से तो नाश होता है, परन्तु ऐसा मित्र होता है , जो भाई से भी अधिक मिला रहता है। " सच मेरे प्रियो वो हमारे विपत्ति के दिनों में हमारा भाई बनजाता है और उससे अधिक हमसे मिला रहता है ।





ये तो बात हुई धर्मशास्त्र हमे मित्रता के बारे में क्या बताता है परन्तु अब सवाल ये है कि हम कैसे यीशु मसीह के मित्र बने सो ये भी हम [अवित्र धर्मशास्त्र से सीखेंगे यहुन्ना १५ : १२ - १५ "मेरी आज्ञा यह है कि जैसे मैंने तुमसे प्रेम किया, वैसे ही तुम भी एक दुसरे से प्रेम करो। इससे महँ प्रेम और किसी का नहीं , कि कोई अपने मित्रों के लिए अपना प्राण दे। जो आज्ञा में तुम्हे देता हूँ, यदि उसे मनो तो तुम मेरे मित्र हो। अबसे में तुम्हे दास नहीं कहूँगा, क्युकी दास नहीं जनता कि उसका स्वामी क्या करता है , परन्तु मैंने तुम्हे मित्र कहा है, क्युकी मित्र वे सब बाते जो मैंने अपने पिता से सुनी है तुम्हे बता दी है।" सो मेरे मित्रो यदि आपको यीशु मसीह का मित्र बनाना है तो जो आज्ञा उसने दी उन्हें हम मने और जो हमने उससे स्वामी और खुद को दास बना लिया है इस दुरी को दूर करे क्युकी स्वामी अपनी कोई बात दास से नहीं कहता वो तो केवल अपने मित्र से हर बात को कहता है हम सिर्फ अपने मित्रो से ही अपने दिल कि बाते कहते है। मेरे प्रियो यीशु मसीह ही हमारा साचा मित्र है जिससे हम साडी बाते कह सकते है और जो हमारा भाई भी है। हम एक गीत गाते है "यीशु क्या ही मित्र प्यारा " इस गीत को अब जब सुने तो आप ध्यान दीजिये कि यह गीत जो गया जाता है उसमे उसकी मित्रता का कैसा वर्णनं है। मुझे आप सभो से से पूरी आशा है कि आप अपने जीवनमें सही मित्र को चुनेगे। प्रभु आपको इन वचनों के द्वारा आशीष दे।








प्रभु यीशु में आपकी




बहिन निशा सिंह

यीशु मेरा सच्चा मित्र

Thursday, August 4, 2011

पहाड़ी उपदेश - धन्य वचन


जय मसीह की ,

प्रभु यीशु में मेरे प्रियो आज में यहाँ परमेश्वर के वचन को आपके साथ बाँट रही हूँ। आज में किसी वचन को अपने शब्द में बयां नहीं कर रही हूँ , क्यूंकि ये वचन अपने आप में पूर्ण है बस हमे इस वचन को ध्यान से पढना होगा।

ये धन्य वचन सच में हमे धन्य करते है अगर हम इसमें कही हुई बातों को ध्यान से पढ़े और उनका पालन करे तो हमे परमेश्वर आशिशो से भर देंगे। सो आये हम देखे कि पहाड़ पर चढ़ कर यीशु मसीह ने धन्य वचन में क्या कहा ये हमे मत्ती ५: ३- १२ में मिलता है यहाँ इस प्रकार लिखा हुआ है :

  1. धन्य है वे जो मन के दीन hई , क्युकी स्वर्ग का राज्य उन्ही का है।

  2. धन्य है वे जो शोक करते है , क्युकी वे सांत्वना पाएंगे।

  3. धन्य है वे जो नम्र है , क्युकी वे पृथ्वी के उतराधिकारी होंगे

  4. धन्य है वे जो धर्म के भूखे और प्यासे है , क्युकी वे तृप्त किये जायेंगे।

  5. धन्य है वे जो दयावंत है , क्युकी उन पर दया की जाएगी।

  6. धन्य है वे जिनके मन शुद्ध है , क्युकी वे परमेश्वर को देखेंगे।

  7. धन्य है वे जो मेल करने वाले है , क्युकी वे परमेश्वर के पुत्र कहलायेंगे।

  8. धन्य है वे जो धार्मिकता के कारन सताए जाते है , क्युकी स्वर्ग का राज्य उन्ही का है।

  9. धन्य हो तुम , जब लोग मेरे कारन तुम्हारी निंदा करे , तुम्हे यातना दे और झूठ बोलकर तुम्हारे विरुद्ध सब प्रकार की बाते कहे - आनादित और मग्न हो , क्युकी स्वर्ग में तुम्हारा प्रतिफल महान है। उन्होंने तो उन नबियों को भी जो तुमसे पहले हुए इसी प्रकार सताया था।

Wednesday, August 3, 2011

जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा तुम्हारा भी हो

जय मसीह कि,

" जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो। " आज विषय पर हमे विचार करना वो वचन यही है क्या अपने इस वचन पर कभी ध्यान दिया है कि परमेश्वर इस वचन क द्वारा क्या कहना चाहता है ? मेरे प्रियो ये वचन जो अप पढ़ रहे है ये फिलिपीयो कि पत्री २: ५ में मिलता है और वचन ५ से आघे यदि हम वचन को देखे तो वह मसीह क यीशु के स्वभाव को बहुत aachhe तरीके से समझाया गया है फिलीपी २:५-८ ये वचन हमे उसके स्वभाव और उसके जैसे बनने लिए सिख दी है। आज हम थोड़ी देर के लिए सोचे क्या मेरा स्वभाव मसीह यीशु सरीखा है ? क्या में अपना जीवन यीशु मसीह के सामान जी रही / रहा हूँ ? मेरे प्रियो हम मसीह कि जीवित पत्री है ये भी परमेश्वर क वचन में लिखा है और वचन ये भी कहता है कि लोग तुम्हे चलते फिरते पढ़ते है । मेरे प्रियो बहुत ही गहरी बाते है जो पौल्लुस ने यहाँ लिखी है कि " जैसा मसीह का स्वभाव था वैसा तुम्हारा भी हो " कितनी कठिन बात है जैसा मसीह यीशु का स्वभाव ? आखिर क्या है मसीह का स्वभाव क्या हम उसके सामान बन सकते है ? आज हमे इसी बात पर विचार करना है ?

सो हम इस वचन पर ध्यान दे इसी फिलिपीयो २: ६ में लिखा है कि यीशु मसीह ने "परमेश्वर क स्वरूप होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने कि वस्तु न समझा।" और वचन कहता है कि "उसने अपने आपको शून्य कर लिया" क्या अपने कभी अपने आपको शून्य किया ? हकीकत ये है कि हम कभी आपने आपको शून्य नहीं करते हमेशा यही कहते है हमे सब आता है और इन बातो में हम अपनी तारीफ करने लगते है और शैतान को अवसर मिल जाता है एक और हमे अपने स्वर्गीय पिता से दूर करने का और वो ऐसा करने में कामयाब हो जाता है । अपने आपको शून्य करना बहुत आसन है जब हमारा विश्वास परमेश्वर पर है तो यदि नहीं है तो बहुत मुश्किल है । ये आपको तय करना है कि आप खुद को शून्य करने वाले है या फिर नहीं । मेरे प्रियो जब उसने अपने आपको शून्य किया तो खुद को दास समझा वो हमारे समन्ता में आ गया। आप जरा सोचे आपका स्थान क्या है और परमेश्वर कहा है बहुत अंतर है वो हमसे कही उचा है हम उसके स्थानपर नहीं आ सकते ? व उसके तुल्य आने क लिए हमे पवित्र होना होगा और अपने आपको शून्य करना होगा। वो इस श्रृष्टि करता का प्रिय पुत्र था और वो हम मनुष्यों के बिच में मनुष्य के रूप में आया परमेश्वर का बेटा आज एक मनुष्य बन कर आया अपने आपको निचे किया हमारे लिए किया वो शून्य हो गया।

दूसरी बात वो आज्ञाकारी था क्या हम है आज्ञाकारी अपने जीवन में ? मेरे प्रियो परमेश्वर ने आज्ञा दिया तू अपने माता और पिता का आदर करना इस आज्ञा का पालन यीशु मसीह ने क्रूस पर चढ़कर किया । जब वो मनुष्य के रूप में था हमारे साथ तब वो थोड़ी देर के लिए मानवी होकर बोला " हे पिता हो सके तो ये कटोरा मेरे सर से हटा ले " यहाँ वो मनुष्य होकर बोला लेकिन उससे मालूम था उसके पिता कि आज्ञा क्या है इसलिए उसने कहा " मेरी नहीं वरण तेरी इच्छा पूरी हो " ये वचन उसकी आज्ञाकारिता को बताता है । आज यदि किसी से कहा जाये तुझे किसी कि सहायता करनी है उसके लिए तुझे अपने प्राण देने होंगे उसका जवब क्या होगा ? मेरे प्रियो उसका जवब नहीं होगा लेकिन यीशु मसीह ने ऐसा नहीं कहा उसने अपने पिता कि आज्ञा को माना और क्रूस कि मृतु सह ली। मेरे प्रियो वचन हमे यीशु मसीह के गुनो को बताता है खुद यीशु मसीह ने एक वचनमें कहा " मेरा जुआ सहज और सरल है में मन से नम्र और दीं हूँ । " यही है उसका स्वभाव वो नम्र है वो दीन है । क्या आपन नम्र है या फिर आप में दीनता है ? सोचिये ये उसका जो स्वभाव है क्या आप में है ।

एक छोटी सी कहानी आप लोगो के लिए आप प्रभु के दास साधू सुन्दर सिंह को तो जानते होंगे उनके जीवन से जुडी एक घटना यहाँ बताना चाहूंगी , हम अछे से जानते है कि साधू सुन्दर सिंह ने हमेशा परमेश्वर क वचन का प्रचार जब किया तो वो अपनी सुविधा से ज्यदा आना जाना करते थे । एक बार ऐसा हुआ कि सुन्दर सिंह जी एक गावं से होकर जा रहे थे काफी दूर तक का सफर तय करने से उन्हें प्यास लगी उनके पास का पानी खतम हो गया था वो उस गाव के घर पर जाकर उन्होंने दरवाजे पर दस्तक दिया एक छोटीबची ने दरवाजा खोला जैसे ही उसने दरवाजा खोला वो जोर से चिलाने लगी अपने घर क्लोगो से कहने लगी कि हमारे घर प्रभु यीशु मसीह आये है सरे लोग आश्चर्य करने लगे और जल्दी ही दरवाजे क पास ए तो देखा दरवाजे पर साधू सुन्दर सिंह खड़े है उस परिवार ने उस छोटी बची को समझाया ये यीशु मसीह नहीं है लेकिन उसकी नज़र में वो यिशुमसिः ही दिखाई दे रहे थे । मेरे प्रियो इस बात कि गहराई ये है कि सुन्दर सिंह जी ने अपने आपको यीशु मसीह क स्वभाव में कर लिया था इसलिए उस बची को वो यीशु मसीह के रूप में दिखाई दिए ।

अब आप सोचे क्या आप में है ये बाते क्या अपने सच में यीशु के स्वभाव को अपनाया है ? क्या लोग आपको देखर कहते है इसमें यीशु मसीह का नूर है मेरे प्रियो यदि नहीं तो आज ही इस बातके लिए परमेश्वर से प्राथना करे कि जैसा मसीह यीशु का स्वभाव है पिता आप मेरा भी वैसा ही क्र दीजिये में भी उसके स्वभाव में आ जाऊ । और जैसा परमेश्वर के लिए उसका बेटा यीशु मसीह प्रिय था क्या आप नहीं चाहते कि आप भी उसके प्रिय बने ? यदि हाँ तो आज खुद को बदल ले उसको अपने आप में ऐसा बुलाये कि कोई भी आपको देखे तो कहे जैसा मसीह था वैसा ये भी है । प्रभु आपको आशीष दे ।


मसीह यीशु में आपकी

बहिन निशा सिंह

Tuesday, August 2, 2011

चुनी हुई प्रजा







एक बार फिर से प्रभु यीशु के  नाम से में यहाँ आप लोगो क मध्य उसके वचन को लेकर आई हूँ। आज  जिस वचन के  द्वारा परमेश्वर हमसे जो बाते कहना चाहता है वो हमें  पवित्र धर्मशास्त्र से १ पतरस २: ९ में मिलता है यहाँ परमेश्वर के वचन में इस प्रकार लिखा हुआ है "परन्तु तुम एक चुना हुआ वंश , और राज- पदधारी याजकों  का समाज , और पवित्र लोग , और (परमेश्वर की) निज प्रजा हो , इसलिए कि जिसने तुम्हे अंधकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है , उसके गुण प्रकट करो। " ये परमेश्वर द्वारा दिया गया एक ऐसा वचन है जो हमे हमारे अधिकार को बताता है , और हमे ये भी बताता है कि परमेश्वर हमे कौन सी जगह देना चाहते है क्या आपने कभी इन बातो पर विचार किया कि वो हमे किस स्थान पर रखना चाहता है? या फिर क्या हम इन दिए गए स्थानों में से किसी एक स्थान में भी आते है ?


मेरे प्रियो यहाँ इस वचन में कुछ बाते है जो हमे बहुत ध्यान से पढना और समझना है ताकि हम उसकी बातो को भली भांति समझ सके। मेरे प्रियो इस वचन में जो बाते है वो इस प्रकार से है : "चुना हुआ वंश " " राज - पदधारी याजको का समाज " " पवित्र प्रजा " " परमेश्वर कि निज प्रजा " ये वो चार नाम है या स्थान है जो परमेश्वर हमे देना चाहते है। क्या आप इन चार स्थानों में से अपने आपको कही देखते है कि परमेश्वर पिता आपको वो स्थान देंगेमेरे प्रियो इन चार स्थान में से किसी एक स्थान  को पाना हमारे जीवन के लिए बहुत बड़ी बात है।


मेरे प्रियो क्या हम उसके "चुने हुए वंश" में आते है आज इस बात पर विचार करे। हम अब्राहम पर विचार करे कैसे परमेश्वर ने उसके वंश को बढाया और ये और चुन लिया कि ये मेरे लोग है कहकर। यदि आप यश्याह ४३:२१ को पढ़े तो वह लिखा है कि उसने प्रजा को अपने लिए बनाया है कि वे उसका गुणानुवाद करे। मेरे प्रियो वो हमे कैसे चुनता है क्या अपने कभी सोचा यदि नहीं तो यिर्मयाह १:४, ५ में लिखा है "तब परमेश्वर का यह वचन मेरे पास पंहुचा , गर्भ में रचने से पहले ही मैंने तुझ पर चित लगाया, और उत्पन होने से पहले ही मैंने तेरा अभिषेक किया ; " मेरे प्रियो परमेश्वर हमे हमारे माता क गर्भ में आने से पहले ही चुन लेता है। क्या आप अपने विषय में जानते है क्या आपको मालूम है कि आप में से कौन माता क गर्भ में आने से पहले ही चुन लिया गया ? हमे इस बात कि जानकारी होना जरुरी है कि हम चुने हुए है या नहीं मेरे प्रियो मनुष्य के चुनने में और परमेश्वर क चुने हुए होने में बहुत अंतर है । जब कोई पादरी बनता है तो उसका अभिषेक बिशप करता है लेकिन जिसको परमेश्वर चुनता है उसका अभिषेक वो उसके माँ क गर्भ में आने से पहले ही कर देता है। मेरे प्रियो हम अपने आप को पहचाने कि हम उसके चुने हुए वंश है अगर अब तक न जाना हो तो पूछिए उससे हे पिता क्या हम चुने हुए है क्या तुने मुझे अपने चुने हुए वंश में रखा है ? यदि आप उसके वंश में है तो प्रभु आपको आशीष दे लेकिन नहीं है तो पूछिए आखिर क्या बात है जो उसके वंश से आपको अलग कर रही है और उस बात को जानकर उससे अपने जीवन से दूर करे ताकि आप परमेश्वर के नजदीक आ सके और उसके वंश में शामिल हो सके।

दूसरा स्थान "राज - पदधारी याजको का समाज" कितना बड़ा स्थन है ये भी मेरे प्रियो याजको का समज होना अपने आप में बहुत बड़ी बात है यदि आप निर्गमन १९: ६ देखे तो वह पर परेम्श्वर पिता कहते है "और तुम मेरी दृष्टि में याजको का राज्य और पवित्र जाती ठहरोगे " मेरे प्रियो वो हमे याजको का स्थान देना चाहते है। राज पदधारी यदि इस shabd का मतलब देखे तो किसी देश का कोई राजदूत जो दुसरे देश में रहकर अपने राज्य के बारे में बताये जानकारी दे ठीक इसी तरह परमेश्वर पिता चाहते है कि इस दुनिया में जब तक हम है उसके राजदूत बनकर रहे हम किस तरह उसके दूत है इस बात कि जानकारी हमे यश्याह ६१: ६ में भी पढने और समझने के लिए मिलती है । हम याद रखे कि हम उसके राजदूत भी हो सकते है।

तीसरा स्थान मे मिलता है "पवित्र प्रजा " अबए विचार करे क्या हम इस नाम क वारिस है क्या हम उसके पवित्र लोगो में आते है मेरे प्रियो यदि नहीं आते तो अभी समय है कि जैसा वचन में लिखा है १पतरस १:१६ में तुम पवित्र बनो , क्युकी मैं (परमेश्वर) पवित्र हूँ । " सो मेरे प्रियो जैसा वो पवित्र है हमे भी पवित्र होना होगा। ये tisri बात है जो हमे उस तक पहुचायेगी और उसकी चुनी हुई प्रजा में शामिल होने देगी।


सबसे अंतिम बात जो यहाँ उसकी प्रजा में शामिल होने क लिए कहता  है वो है परमेश्वर कि निज संपत्ति होना कहने  का मतलब है उसका ऐसा भाग  जो केवल  उसका है किसी और का नहीं ये चारों बातें आपस  में जुडी हुई है इन में से एक भी बाते उसकी प्रजा होने के लिए  बहुत जरुरी है निज प्रजा एक ऐसी  प्रजा या ऐसे  लोग जो बहुत बड़े  नहीं है लेकिन हाँ वो हमेशा  अपने पिता परमेश्वर को याद करते  है उसकी महिमा  का गान करते  है। याद रखे यदि हमे उसकी प्रजा में शामिल होना है तो हमारे अंदर ये सारी बातें  होनी चाहिए क्यूंकि  केवल वही है जो हमे अपनी प्रजा में शामिल करेगा उसको छोड़ कोई नहीं।


सो आये हम अपने आपको जाचेक्या हम इस योग्य है क्या हमे ये नाम दिए गए है यदि हाँ तो मेरा नाम क्या है क्या में इस चुने हुए प्रजा में हू ? मेरे प्रियो अज इस वचन को आप लोगो तक लेन में मुझे बहुत परेशानी हुई या यु कहू शैतान ने आज बहुत प्रेस किया कि अप लोगो तकये वचन न पहुचे लेकिन मैंने अपने समर्थि परमेश्वर से दुआ किया और कहा शइतन के सरे बंधन नाश हो जाये और दुआ करने क १० मिनट बाद से में इसे आप लोगो तक पंहुचा प् रही हूँ। प्रभु में आशीषित मेरे भाई और बेहनो ये वचन आपके जीवन में कार्य करे और आपको सहायता प्रदान करे ये जन्नाने में कि आप उसके वंश है या नहीं और यदि है तो आपको परमेश्वर ने कौनसा स्थान दिया है।प्रभु आप sabho कि सहायता करे।


मसीह यीशु में आपकी


बहिन  निशा  सिंह 

Monday, August 1, 2011

मांगो तो पाओगे



प्रभु यीशु के प्रिय और मधुर नाम में सभी भाई और बहनों को जय मसीह कि, आज परमेश्वर  का आत्मा जो मेरे द्वारा आप लोगो से कहना चाहता है वो उसके वचन से हमे बता रहा है सो आयिएहम उसके वचन में से देखे जो हमे मती रची सुसमाचार ७: ७ - ८ में लिखा है " मांगो तो तुम्हे दिया जायेगा , ढूढ़ो तो तुम पाओगे , खटखटाओ तो तुम्हरे लिए खोला जायेगा। क्युकी जो मांगता है उसे मिलता है , और जो ढूढता है वह पता है , और जो खटखटाता है उसके लिए खोला जायेगा। "

आज परमेश्वर इस वचन क द्वारा आपसे और मुझसे कुछ कहना चाहता है मेरे प्रियो थोड़ी देर के लिए आप सोचे जब कभी आप परमेश्वर से प्राथना करते है तो आप क्या कहते है उससे हम अपनी प्रथ्नाओ में केवल उससे मांगते है धन्यवाद देना तो दूर कि बात है लेकिन क्या अपने कभी ये सोचा कि आप जो मांगते है उसे मांगने कि जरुरत है ? या फिर जो आप मांग रहे है क्या वो सही है ? या फिर क्या आपने परमेश्वर कि इच्छा से माँगा है ? मेरे प्रियो थोड़ी ही देर में ये सवाल सामने आ गए और जब आप इन पर विचार करेंगे तो खुद इन बातो में उलझ जायेंगे कि आप क्या मांग रहे है। इसलिए परमेश्वर अपने वचन के द्वारा हमसे बातचीत करता है और (मत्ती ६: ३१, ३२) में हमसे कहता है कि तुम किसी बात कि चिंता न करो के क्या कहोगे और क्या पियोगे और क्या पहनोगे क्युकी वो हमारी आवशयकता को जानता है लेकिन हम प्रतिदिन यही सारे बाते परमेश्वर से अपनी प्रथ्नाओ में कहते है क्या हमे इन सब बातो को कहने कि जरुरत है ? मेरे प्रिय ये हमारी जरुरत हमारे पिता को मालूम है इसलिए यीशु मसीह ने आकाश में उड़ने वाले पंछियों को दिखाते हुए कहा कि इन्हें देखो ये किसी बात कि चिंता नै करते बीएस दिन रात परमेश्वर कि महिमा करते है। मेरे प्रिय अब प्रश्न ये है कि हम क्या मांगे परमेश्वर से यदि हम सुलेमान राजा को देखे तो उसने क्या माँगा परमेश्वर से "बुद्धि " मांगी क्या हम अपने जीवन में उससे ये माँगा ? नहीं ! हम तो बस अपने जीवन कि सुविधा कि चीज़े मांगते है हम स्वार्थी है केवल अपने बारे में सोचते है। एक बार हम उससे कहे कि पिता आप मुझे ज्ञान दीजिये बुद्धि दीजिये मेरे प्रिय जिस दिन अपने उससे ये मांग लिया sari चीज़े आपके पास खुद ही आ जाएँगी। सो प्रियो हमे उससे बुद्धि को मांगना है तब हमे सब कुछ मिल जायेगा।

दूसरी बात जो इस वचनमें लिखा है "ढूढ़ो तो तुम पाओगे" यहाँ भी एक प्रश्न है क्या ढूढना है ? एक बार फिर से विचार करे आपको अगर कुछ आज ढूढना है तो क्या ढूढएंगे ? नौकरी ? अच्छा घर ? अच्छा बैंक बैलेंस ? क्या हम कभी सोचते है कि ये बात क्यों लिखी गयी है कि ढूढ़ोगे तो पाओगे आखिर क्या ढूढना है ? मेरे प्रियो हमे यीशु मसीह को ढूढना है अपने जीवन में आगे वो मिल जाये तो सबकुछ मिल जायेगा लेकिन हम हमेशा सांसारिक चीज़े मांगते और ढूढते है हम कभी ये नहीं सोचते कि अगर में अपने जीवन में यीशु को ढूढ लूँ तो मुझे सब कुछ मिल जायेगा ढूढइए उसे अपने जीवन में वो चाहता है यही वो आपको भुत साडी आशीषे देना चाहता है। क्या पाने अपने जीवनमें उसे पा लिया है मेरे प्रियो जिसने यीशु मसीह को पा लिया उसने अपने जीवन में साडी आशिशो को पा लिया अब उसे कोई कमी नहीं है अब उसका कुछ नहीं घूमेगा जिसे वो ढूढऐ अब उसके पास सब कुछ आ गया वो ख़ुशी से कहता है मेरे पास यीशु है मेरा यीशु अब मुझे कोई घटी नहीं है कुछ नहीं घुमा है मेरे पास से। सो हम इस बात को स्मरण रखे कि हमे सिर्फ और सिर्फ यीशु मसीह को ढूढना है और उसके साथ हमे भुत साडी चीज़े जो मिलती है (मत्ती ६:३२- ३३) में लिखा है कि हम उसके राज्य को भी खोजे तो हमे साडी वस्तुए मिल जाएँगी सो हम उसके राज्य और धार्मिकता को खोजे उसे ढूढने कि कोशिश करे। हमे सब मिल जायेगा।

तीसरी और अंतिम बात जो बहुत ही महत्वपूर्ण है वो है "जो खटखटाता है उसके लिए खोला जायेगा " । यहाँ भी एक प्रशन है कहा खटखटाए ? मेरे प्रियो यदि आप (प्रकाश्तिवाक्य ३:२० ) को पढ़े तो वह परमेश्वर के वचन में लिखा है "देख , मैं द्वार पर खड़ा खटखटाता हूँ। यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोले तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ। " यहाँ पर खटखटाने वाला यीशु मसीह है वो तो तैयार खड़ा है लेकिन क्या आप तैयार है क्या आप नहीं चाहते कि जब आप उसके दावर पर दस्तक दे तो वो द्वार खोले मेरे प्रियो हम लेकिन हमेशा गलत द्वार पर दस्तक देते है जो हमे नाश कि और ले जाती है अतः हम इस संसार क वश में होकर रह गए है हम शैतान क द्वार पर खटखटाते है और विनाश कि और जाते है मेरे प्रिय यीशु मसीह बार बार हमारे ह्रदय में दस्तक देते है वो अन्दर आना चाहते है लेकीन हम उन्हें नहीं आने देते और वो हमेशा अपने द्वार पर हमारी राह ताकते है कि कब हम उनके पास जायेंगे और उसके द्वार पर खटखटाएंगे और वो द्वार खोले और हमे अपने पास बुलाये मेरे प्रियो हम गीत तो गाते है मेरे दिल क द्वार पर यीशु खटखटाता खोलू में दरवाजा वो है आना चाहता तो मेरे प्रियो एक राज़ कि बात बताना चाहती हूँ वो आता तो हमारी मर्जी से है लेकिन जाता अपनी मर्जी से है अगर आपने उसे बुलाया है और उसने अपना द्वार खोला है तो वो बंद भी कर सकता है क्युकी जब हम उसे अपने जीवन में स्थान नहीं देते तो वो हमारे जीवन से चला जाता है। फिर हम कितना भी उसके द्वार को खटखटाए वो द्वार नहीं खोलता मेरे प्रियो आपको और मुझको उन ५ मुर्ख स्त्रियों कि तरह नहीं बनना है, कि जब दूल्हा आया तो वो बाजार तेल लेने चली गयी और जब वापस आई तब द्वार बंद हो चूका था फिर वो दरवाजे पर दस्तक देती रही लेकिन एक शब्द उन्हें सुनने मिला कि हम तुम्हे नहीं जानते। सो मेरे प्रियो जब हम खटखटाए तो जब द्वार खुले तो उसके पास जाये उसके साथ बात करे उसके साथ भोजन करे वो हमसे बात करना चाहता है वो हमारे साथ भोजन करना चाहता है उसे बुला लीजिये आज वो चाहता है कि वो हमारे पास आये उसे जाने न दे अपने जीवन से हाँ वो द्वार खोलता है एक बार तो खटखटाओ वो जरुर खोलेगा दरवाजा वो तुम्हारे साथ होगा।

मेरे प्यारे भाइयो और बहनों मेरी आप सबके लिए ये दुआ है परमेश्वर से कि वो इस वचन के द्वारा आप लोगो से बात करे और ये वचन आपके जीवन में आशिशो को ले आये मांग लीजिये उससे बुद्धि वो देगा ढूढलो उसको वो मिल जायेगा और जब वो मिल जायेगा तो जब उसके द्वार पर खात्ख्ताओगे तो वो जरुर खोलेगा और तुम उसके साथ होगे और वो तुम्हारे साथ।


मसीह यीशु में

आपकी बहिन निशा सिंह

Sunday, July 31, 2011

प्रभु येशु के महान और मधुर नाम में हमारा सादर प्रणाम.
हमें ख़ुशी  है कि हम इस ब्लॉग के द्वारा आपसे मिल सके हैं.
रोज आज का वचन बहन निशा हमारे लिए लायेंगी.

आज का वचन


जय मसीह कि ,
और जो - जो आज्ञाएँ मैंने तुम्हे दी है उनका पालन करना सिखाओ। और देखो , मैं युग के अंत तक सदैव तुम्हारे साथ हूँ। मत्ती २८: २०

Saturday, July 30, 2011

आत्मिक सेवा

जय मसीह की,

रोमियो की  पत्रि उसके १२ :१ - २ में परमेश्वर का वचन हमसे कहते है "अतः हे भाइयो , में तुमसे परमेश्वर की  दया स्मरण दिलाकर तुमसे आग्रह करता हूँ कि तुम अपने शरीरो को जीवित , पवित्र और ग्रहण योग्य बलिदान करके परमेश्वर को समर्पित कर दो। यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है।


ये वचन हमे परमेश्वर के लिए एक ऐसी सेवा को बताता है जो हममे से हर एक लिए संभव है इस वचन में ३ बातो के विषय पौल्लोस कहता है दया : सारे लोगो से कि परमेश्वर कि दया को स्मरण करो और वो उनसे एक निवेदन कर रहा है कि हम उसकी दया को स्मरण रखे कि उसने हम पर कितने उपकार किये है यदि हम देखे भजन सहिता १०३ : १-२ तो वह हमसे कहा गया है कि हमे हर बात में परमश्वर का धन्यवाद करना है वह हमे उसके उपकार देखने कलिए मिलते है जिसके लिए राजा दौऊद ने कहा कि हम उसका हमेश धन्यवाद करे उसकी करुना इतनी है कि हम उसे गिन भी नहीं सकते सो हमे पहली बात उसकी दया स्मरण रखनी है ।

१.जीवित : कि हम अपने शरीरो को जीवित रखे अब यहाँ पर एक प्रश्न आता है हम सोचते है कि हम तो जीवित है फिर कैसे और शारीर को जीवित रखे यदि आप गलतियों ५: १९-21 में लिखा है कि अब शारीर क काम स्पष्ट है, अर्थात व्य्भिचार , अशुधता, कामुकता, मूर्तिपूजा, जादूटोना, बैर , झगडा, इर्ष्य, क्रोध, मतभेद, फूट , दलबंदी ,द्वेअष, मतवालापन, रंगरलिया तथा इस प्रकार के अन्य काम है यदि ये सारे काम हमारे जीवन में है तो क्यों कर हमारा शारीर जीवित होगा हमसे परमश्वर का वचन इसलिए कहता है इन सब बातो से दूर रहना अपने शारीर को जीवित रखना है ये सारे काम हमारे शरीर को मरती है और हमे परमेश्वर से दूर करती है यदि हम जीवन जी रहे है तो हमे मालूम होना चहिये कि ये शरीर हमे परमेश्वर ने दिया है जिस तरह एक मायां में दो तलवार नहीं रह सकते वैसे ही हम दोहरा जीवन नहीं जी सकते है हमे ये तय करना होगा कि ये जीवन हम परमेश्वर क लिए जिए और अपने आपको अपने शरीर के साथ जीवित रखे। 

२.पवित्र : दूसरी बात जो इस वचन से हमे सिखने क लिए मिलती है वो है पवित्रता वचन हमे सिखाता है जैसे तुम्हारा पिता पवित्र है वैसे ही तुम भी पवित्र बनो यदि आप १ पतरस १: १६ को पढ़े तो वह वचन कहता है "तुम पवित्र बनो , क्युकी में पवित्र हूँ। हम सब जानते है कि हमारा परमेश्वर पवित्र है सो वो भी चाहता है हम भी पवित्र बने। सो प्रभु यीशु में मेरे प्रिय भाइयो और बहनों इस बात को आप ध्यान रखे कि हमे परमेश्वर सरीखा पवित्र बनना है। 

३.बलिदान : तीसरी बात जो वचन में लिखा है परमेश्वर चाहते है कि हम अपने आपको ग्रहण योग्य बलिदान करे अतः हम जो भी बलिदान करते है वो ग्रहण योग्य होना चाहिए कभी - कभी हम सोचते है जो हम अपनी मर्जी से परमेश्वर के लिए कर रहे है वो उसको भाता है लेकिन प्रियो क्या आपने कभी ये सोचा है कि उसकी इच्छा क्या है वो हमसे किस तरह का बलिदान चाहता है। आपके और मेरे सामने सबसे बड़ा उदाहरण है यीशु मसीह का बलिदान जो हमे फिलिपियो २: ६- ९ यदि इस वचन को आप पढ़े तो वह लिखा है कि यीशु मसीह ने अपने आप को हमारे पापो क लिए क्रूस पर चढ़ा दिया आपने आप को शुन्य कर लिया आपने आपको शुन्य करना ही भुत बड़ा बलिदान है। थोड़ी देर विचार करे क्या आपने कभी किसी के लिए आपना समय दिया है क्या आप ने कभी परमेश्वर क लिए समय दिया है वो हमसे हमारे समय का , हमारे जीवन का बलिदान चाहता है वो चाहता है जैसे आप दूसरी चीजों को आपने जीवन में महत्व देते है वैसे ही हम उसे अपने जीवन में पहला स्थान दे।
ये तीनो बाते हमे परमेश्वर कि सेवा करने क लिए प्रेरित करती है और ये भुत बड़ी बी नहीं है जो हम न कर सके हमे ये सेवा देनी है एक गवाही बताना चाहूंगी आप लोगो को में १ साल पहले एक मीटिंग क लिए बिलासपुर गयी हुई थी मेरे साथ मेरी मामी भी थी उनके साथ हम उनके एक सहभागी मैडम क घर पर मिलने गए वो भी मसीही परिवार से है मुझे उनका नाम याद नहीं आ रहा है परन्तु एक बात जो इस वचन से सम्बंधित वह घटी बताना चाहती हूँ जब मैंने उनके घर पर ये वचन पढने को कहा तो उनकी छोटी बहन ने पढ़ा मैंने ये वचन जब पढने क लिए कहा और जब वो पढने लगी तब मैंने वह परमेश्वर कि अगुवाई से उन सब से बाते कि और दुआ कर्क हम वापस आ गए दुसरे दिन मेरी मामी ने मुझे बताया कि कल जो वचन मैंने वह पढाया था उस वचन को पढने के बाद वो परेशां हो गयी और अबी तक परेशां है मैंने एक बात कहा जैसा वचन कहता है इब्रानियों ४: १२,१३ में उसका वचन दोधारी तलवार से भी चोखा है वो हमारे प्राण, आत्मा , गुदे दोनों को आरपार छेड़ता है सो उस बहन क साथ बी यही हुआ उस वचन ने उनके जीवन में काम किया वो काफी नजदीक आ गयी है परमेश्वर के। सो प्रियो हम भी ये बात स्मरण रखे अपनी सेवा परमेश्वर को दे वो ये नहीं चाहता कि हम बड़े बड़े मीटिंग करे उसने भुत तरह से हमे सिल्खाने कि कोशिश कि है जिसमे ये सबसे उत्तम है और सभी के लिए है सो आईये हम सब अपने लिए परमेश्वर से प्राथना करे कि हम अपने शरीरो को जीवित, पवित्र और उसको भवता हुआ बलिदान करने पाए।

प्रभु यीशु में आपकी

बहिन निशा सिंह
जय मसीह की,
अतः हे भाइयो , में परमेश्वर की दया स्मरण दिलाकर तुमसे आग्रह करता हूँ कितुम अपने शरीरो को जीवित , पवित्र और ग्रहण योग्य बलिदान करके परमेश्वर को समर्पित कर दो । यही तुम्हारी आत्मिक आराधना है। - रोमियो १२: 1

Wednesday, March 16, 2011

आज कल हम देखते हैं कि शैतान लोगों को परेशां कर रहा है.खास कर मसीही लोगों को.क्या आपको इसका कारण मालूम है?
अगर नहीं मालूम  है तो आने वाले दिनों में में हम आपको बताएँगे.